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Wednesday, 6 February 2019

नेशनल हाईवे बाइक दुर्घटना में बुजुर्ग घायल

ग्रामीण मीडिया संवाददाता  मुलताई

छिंदवाड़ा नेशनल हाईवे पर बुधवार को बाइक दुर्घटना में बुजुर्ग गंभीर रूप से घायल हो गया। दुनई निवासी जोगी पाठेकर (56) बाइक से मुलताई आ रहा था। दुनावा से चिखलीकला के बीच बाइक अनियंत्रित होने से जोगी मार्ग पर गिरकर घायल हो गया। सूचना पर एनएचएआई की एंबुलेंस मौके पर पहुंची। एंबुलेंस के रविंद्र खंडारे, छोटेसिंह रघुवंशी, सीताराम ने जोगी को उपचार के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचाया। जोगी के सिर और हाथ में गंभीर चोट आने से प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रैफर किया गया। 


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अज्ञात वाहन ने बाइक को मारी टक्कर एक कि मौत

ग्रामीण मीडिया संवाददाता

बैतूल| फोरलेन पर काेसमी के पास बाइक से दनोरा जा रहे बाइक सवार को अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी, इसमें एक की मौत हो गई। वहीं दूसरा गंभीर है। पुलिस के अनुसार कमल पिता कुंअर लाल वाघमारे साथी प्रकाश के साथ कोसमी से दनोरा जा रहा थे, तभी काेसमी से कुछ दूरी पर अज्ञात वाहन ने बाइक काे टक्कर मार दी। इससे बाइक पर सवार दाेनाें गंभीर घायल हाेकर बेहोश हाे गए थे। 108 से दाेनाें काे अस्पताल लाया गया जहां उपचार के दाैरान कमल वाघमारे की माैत हाे गई। प्रकाश काे परिजन एक निजी अस्पताल में उपचार के लिए ले गए। 


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ट्रक पलटने से ड्राइवर की मौत

ग्रामीण मीडिया संवाददाता । भीमपुर

भीमपुर| लेड़दा घाट पर बुधवार काे कोयले से भरा ट्रक पलटने से ड्राइवर की माैके पर माैत हाे गई। कोयला भरकर नागपुर से बड़वाह जा रहा ट्रक घाट पर अनियंत्रित होकर पलट गया। इस घटना में ड्राइवर शिवप्रसाद शर्मा की मौत हो गई, जबकि क्लीनर अजय पिता ननका घायल हाे गया। पुलिस द्वारा ट्रक ड्राइवर को मर्ग कायम किया गया ट्रक कोयला लेकर नागपुर से बड़वाह जा रहा था।

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ग्रामीण मीडिया का नवाचार, गाय का बच्चा पी रहा है बोतल से दूध और माता दे रही है मशीन से दूध

ग्रामीण मीडिया संवाददाता 

ग्रामीण मीडिया सेण्टर मुलताई में आपका स्वागत है। गाय का बच्चा पी रहा है, बोतल से दूध और गाय माता मशीन से दे रही है, दूध। नवाचार खेती को लाभ का रोजगार बनाना है। ग्रामीण टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ते कदम।
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आज के प्रमुख सामचार दिनांक 6 फरवरी

ग्रामीण मीडिया संवाददाता | बैतूल 


श्रम पदाधिकारी कार्यालय का स्थान परिवर्तित
बैतूल, 06 फरवरी 2019
श्रम पदाधिकारी श्री धम्मदीप भगत से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व में चन्द्रशेखर वार्ड इटारसी रोड बैतूल में संचालित श्रम पदाधिकारी कार्यालय का स्थान परिवर्तित हो गया है। अब यह कार्यालय संयुक्त जिला कार्यालय भवन (कलेक्टर परिसर) बैतूल के द्वितीय तल में कक्ष क्रमांक एस-19, एस-20 एवं एस-25 में 01 फरवरी से संचालित हो रहा है। 



पुजारियों की नियुक्ति एवं पद मुक्ति की प्रक्रिया निर्धारित
वंश परम्परा और गुरू-शिष्य परम्परा को मिलेगी प्राथमिकता
बैतूल, 06 फरवरी 2019
अध्यात्म विभाग द्वारा शासन संधारित देव स्थानों के पुजारियों की नियुक्ति और पदमुक्ति संबंधी प्रक्रिया निर्धारित कर दी गई है। पद रिक्त होने पर निर्धारित प्रक्रिया और नियमों का पालन किया जाकर नियुक्तियाँ प्रदान की जायेंगी। पुजारियों की नियुक्ति में वंश परम्परा और गुरू-शिष्य परम्परा को प्राथमिकता दी जायेगी। पुजारियों के नाम की प्रविष्टियाँ खसरे में भी की जायेगी। तहसील एवं पटवारी स्तर पर पुजारी पंजी संधारित होगी।
उल्लेखनीय है कि पहली बार प्रदेश सरकार द्वारा पुजारियों की नियुक्तियों के संबंध में नियम और प्रक्रिया निर्धारित की गई है। शासन द्वारा संधारित देव स्थानों के पुजारियों की नियुक्ति हेतु 9 अर्हताएँ तय की गई हैं। नियुक्ति की प्रक्रिया भी निर्धारित की गई है। पुजारियों के कर्त्तव्य और दायित्वों के साथ ही पुजारियों की पदमुक्ति तथा पद रिक्त होने पर व्यवस्था के नियम भी बनाये गये हैं। यह नियम नवीन पुजारी की नियुक्ति के लिए ही प्रभावी होंगे। पूर्व से कार्यरत पुजारी के लिए यह नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावी नहीं होगी।
नियुक्ति की अर्हताएँ
पिता पुजारी होने की दशा में उसी वंश के आवेदक को अन्य सभी अर्हता पूर्ण करने पर प्राथमिकता दी जायेगी। पुजारी पद के लिये आठवीं तक शिक्षित होकर न्यूनतम उम्र 18 वर्ष एवं स्वस्थ चित्त होना आवश्यक है। पूजा विधि का प्रमाण-पत्र परीक्षा उत्तीर्ण होकर पूजा विधि का ज्ञान और शुद्ध शाकाहारी होना जरूरी है। पुजारी मद्यपान न करने वाला और अपराधिक चरित्र का नहीं होना चाहिए। देव स्थान की भूमि पर अतिक्रमण अथवा देव स्थान की अन्य सम्पत्ति खुर्द-बुर्द करने का दोषी नहीं होना चाहिए।
यदि कोई मंदिर मठ की श्रेणी में आता है और उस मंदिर पर किसी सम्प्रदाय विशेष अथवा अखाड़ा विशेष के पुजारी होने की परम्परा होने पर गुरू-शिष्य परम्परा के आधार पर पुजारी की नियुक्ति प्राथमिकता से की जायेगी। किसी दरगाह, खानकाह या तकिया पर सज्जादानशीन/मुजाविर आदि की नियुक्ति में वंश परम्परा की प्रथा है, तो नियुक्ति के समय उसका ध्यान रखा जायेगा।

नियुक्ति की प्रक्रिया
किसी देव-स्थान पर पुजारी का पद रिक्त होने की दशा में आवेदन निर्धारित प्रारूप पर ऐसे अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को प्रस्तुत किया जावेगा, जिसकी स्थानीय अधिकारिता में देव-स्थान स्थित हो। आवेदन पत्र के साथ शपथ पत्र पर अण्डरटेकिंग भी प्रस्तुत करनी पड़ेगी जिसमें स्पष्ट उल्लेख होगा कि वह संबंधित देवस्थान की चल-अचल सम्पत्ति पर किसी स्वत्व आधिपत्य संबंधी दावा नहीं करेगा।
आवेदन प्राप्त होने पर 15 दिवस की उदघोषणा जारी कर आपत्ति आमंत्रित की जायेगी। इसी अवधि में यदि अपेक्षित हो तो पटवारी/तहसीलदार आदि का प्रतिवेदन बुला सकेगा। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) उदघोषणा अवधि पूर्ण होने पर कोई आपत्ति प्राप्त न होने पर आगामी कार्यवाही करेगा। साक्ष्य ले सकेगा। दस्तावेज आदि प्राप्त कर सकेगा। आवश्यक होने पर स्थानीय जाँच स्वयं कर सकेगा अथवा तहसीलदार/नायब तहसीलदार से करा सकेगा।
जाँच पूर्ण होने पर स्पीकिंग आर्डर जारी करेगा, जिसकी एक-एक प्रति तहसीलदार, कलेक्टर, औकाफ बोर्ड तथा संचालक धर्मस्व को भेजी जायेगी। एक प्रति नियुक्त पुजारी को भी दी जावेगी। नियुक्ति आदेश के बाद अनुविभागीय अधिकारी तहसीलदार के माध्यम से संबंधित देवस्थान का आधिपत्य पुजारी को देगा। आधिपत्य देते समय चल-अचल सम्पत्ति की सूची 3 प्रति में तैयार की जायेगी। एक प्रति पुजारी के पास एक तहसील कार्यालय में तथा एक प्रति पुजारी नियुक्ति की नस्ती में सुरक्षित रखी जायेगी। मंदिर का आधिपत्य देने के बाद ही नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण मानी जायेगी।

तहसील और पटवारी स्तर पर पुजारी पंजी संधारित होगी और खसरे में नाम अंकित होगा
तहसील में पटवारी स्तर पर पुजारी पंजी संधारित की जायेगी। पंजी में पुजारी नियुक्ति आदेश अनुसार प्रविष्टि की जाएगी। यदि देवी स्थान की सेवा पूजा के लिए कृषि भूमि देव स्थान के नाम है तो ऐसी भूमि पर खसरे के कॉलम नंबर 12 में भी नियुक्ति आदेश की केवल सांकेतिक प्रविष्टि की जाएगी। इसके आधार पर स्वत्व/आधिपत्य संबंधी हित सृजित नहीं होंगे। पुजारी नियुक्ति की प्रक्रिया स्वप्रेरणा से बगैर किसी आवेदन के भी आरंभ की जा सकेगी। प्रतिमाह होने वाली पटवारियों की बैठक में तहसीलदार रिक्त पुजारी पद की जानकारी लेंगे, तथा रिक्त पद होने पर प्रतिवेदन अनुविभागीय अधिकारी को प्रस्तुत करेंगे। प्रतिवेदन प्राप्त होने पर अनुविभागीय अधिकारी सूची स्वयं से नियुक्ति हेतु प्रकरण पंजीबद्ध करेंगे। उद्घोषणा जारी कर आवेदन पत्र आमंत्रित कर उपरोक्त प्रक्रिया का पालन करते हुए नियुक्ति की कार्यवाही करेंगे।

अधिकतम तीन माह की अवधि में पुजारी की नियुक्ति होगी
किसी भी हालत में देवस्थान अपूज्य नहीं रहना चाहिए। यदि पुजारी की नियुक्ति में समय लग रहा है तो पुजारी नियुक्ति की अंतिम कार्यवाही पूर्ण होने तक पूजा करने के योग्य व्यक्ति से अस्थाई पुजारी के रूप में काम लिया जा सकेगा। ऐसे अस्थाई पुजारी को केवल पूजा करने की अवधि का मानदेय ही प्राप्त होगा। पुजारी पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया अधिकतम तीन माह में अनिवार्य रूप से पूर्ण कर ली जायेगी। अधिक समय लगने की दशा में कलेक्टर से अनुमति प्राप्त करनी होगी। ऐसी अनुमति प्राप्त होने की तिथि से आगामी 3 माह में नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करना अनिवार्य होगा।
अनुविभागीय अधिकारी के अंतिम आदेश की प्रथम अपील 30 दिन में कलेक्टर को की जा सकेगी। कलेक्टर के आदेश की अपील 30 दिन के अवधि में आयुक्त को तथा आयुक्त के आदेश की अपील एक माह में राज्य शासन को की जा सकेगी। राज्य शासन का आदेश अंतिम होगा। पुजारी नियुक्ति की प्रक्रिया में सिविल न्यायालय की अधिकारिता वर्जित होगी।

पुजारी के कर्त्तव्य व दायित्व
पुजारी विधि-विधान से परंपरा अनुसार देवस्थान की सेवा पूजा करेगा। देव स्थान की साफ रखेगा। मंदिर में श्रद्धालुओं की श्रद्धा अनुरूप वातावरण बनाए रखेगा। मंदिर की चल-अचल संपत्ति की सुरक्षा उसी प्रकार करेगा जैसे खुद की संपत्ति की जाती है। देवस्थान की संपत्तियों में अपने किसी प्रकार के हित सृजित नहीं करेगा। साथ ही पुजारी शासन की जन-कल्याणकारी योजना में उत्प्रेरक का कार्य भी करेगा।

पदच्युति
पुजारी की पदच्युति स्वस्थ चित्त न रहने, देवस्थान की चल-अचल संपत्ति में हित का दावा करने, चारित्रिक दोष पैदा होने, देव स्थान की सेवा-पूजा एवं संपत्ति की सुरक्षा में लापरवाही प्रदर्शित होने और शासन के आदेशों की अवहेलना करने पर हो सकेगी।

पुजारी का पद रिक्त होने पर व्यवस्था
देवस्थान अपूज्य न रहे यह सुनिश्चित करना जिला प्रशासन का दायित्व होगा। अत: पुजारी की मृत्यु होने अथवा पद से पृथक किए जाने की दशा में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पुजारी की स्थाई नियुक्ति होने तक किसी योग्य व्यक्ति से अस्थाई पुजारी के रूप में काम ले सकेंगे। पुजारी पद पर विधिवत नियुक्ति होने पर ऐसा व्यक्ति स्वत: पूजा के दायित्व से मुक्त माना जाएगा। जिस अवधि में अस्थाई पुजारी द्वारा पूजा की गई है उस अवधि का मानदेय उसे प्राप्त करने की पात्रता होगी।


गलत विद्युत देयकों के निराकरण के लिये वितरण केन्द्र स्तर पर समिति बनेगी
निराकरण बैठक माह के दूसरे मंगलवार को
बैतूल, 06 फरवरी 2019
राज्य शासन के वचन-पत्र के परिपालन में प्रत्येक जिले में विद्युत वितरण कम्पनी के वितरण केन्द्र स्तर पर गलत विद्युत देयकों के निराकरण के लिये समिति का गठन किया जा रहा है। समिति में विद्युत वितरण कम्पनी के प्रबंधक संयोजक सदस्य होंगे। समिति में प्रभारी मंत्री द्वारा 6 अशासकीय सदस्य नामांकित किये जायेंगे। समिति में एक-एक जनपद पंचायत के सदस्य, नगरीय क्षेत्र में पार्षद, कृषि/व्यावसायिक उपभोक्ता, घरेलू उपभोक्ता और दो महिला सदस्य होंगी। समिति की बैठक प्रत्येक माह के दूसरे मंगलवार को दोपहर 12 बजे वितरण केन्द्र/जोन पर होगी। इस दिन अवकाश होने पर अगले कार्य-दिवस में बैठक होगी। बैठक का कोरम कम से कम 3 सदस्य का होगा।
गलत विद्युत देयकों के निराकरण संबंधी आवेदन मिलने पर विद्युत वितरण कम्पनी के प्रबंधक के माध्यम से समिति के समक्ष रखा जायेगा। समिति की अनुशंसा के 3 दिन के भीतर सदस्य संयोजक द्वारा वितरण कम्पनी के उप महाप्रबंधक/कार्यपालन यंत्री को भेज दिया जायेगा। आवश्यकता अनुसार बिल सुधार की कार्यवाही 7 दिन में कर समिति को सूचना दी जायेगी। प्राधिकृत अधिकारी द्वारा की गयी कार्यवाही से समिति के संतुष्ट नहीं होने पर मामला अधीक्षण अभियंता/महाप्रबंधक को भेजा जायेगा, जिनका निर्णय अंतिम होगा।


विदेश में उच्च शिक्षा अध्ययन के लिये मिलेगी छात्रवृत्ति
ऑफलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 10 फरवरी निर्धारित
बैतूल, 06 फरवरी 2019
राज्य शासन द्वारा हर वर्ष 20 होनहार विद्यार्थियों का चयन कर उन्हें विदेश में 2 वर्ष के स्नातकोत्तर और शोध पाठ्यक्रम के लिये 40 हजार डॉलर प्रति वर्ष की छात्रवृत्ति प्रदान की जायेगी। इसमें छात्रवृत्ति के रूप में वार्षिक 38 हजार डॉलर के साथ 2 हजार डॉलर किताबों, आवश्यक उपकरण, टंकण, शोध प्रबंध की बाइडिंग सहित अन्य खर्चों को शामिल किया गया है।
योजना शैक्षणिक सत्र 2019-20 से लागू करने का निर्णय लिया गया है। मध्यप्रदेश के ऐसे मूल निवासी प्रतिभावान स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थी, जिन्होंने 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किये हैं, अब विदेश में उच्च शिक्षा के लिये आवेदन कर सकते हैं। छात्रवृत्ति के ऑफलाइन आवेदन सम्पूर्ण दस्तावेजों के साथ 10 फरवरी तक आमंत्रित किये गये हैं।

छात्रवृत्ति के लिये आवश्यक अर्हताएँ
विदेश अध्ययन के लिये आवेदक विद्यार्थी को यू.जी./पी.जी. में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। छात्रवृत्ति के लिये स्नातकोत्तर विद्यार्थी की आयु 25 वर्ष तथा शोध उपाधि के लिये 35 वर्ष निर्धारित है। आवेदक के माता-पिता, अभिभावक, अभ्यर्थी की पत्नी/पति की समस्त स्रोतों से कुल वार्षिक आय 5 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिये। अभ्यर्थी को जीआईई, जीएमएटी, टीओएफईएल, आईईएलटीएस की अर्हता प्राप्त करना अनिवार्य होगा। चयन समिति द्वारा मेरिट तथा शॉर्टलिस्ट प्रत्याशियों के साक्षात्कार के आधार पर विद्यार्थियों का चयन किया जायेगा।
आवेदक विद्यार्थी ऐसे देश में स्थित मान्यता प्राप्त संस्थान में अध्ययन जारी रख सकेंगे, जिनके साथ भारत सरकार के राजनयिक संबंध हैं। योजना में उल्लेखित पाठ्यक्रम के लिये विद्यार्थियों को स्वयं प्रयास करने होंगे। विद्यार्थियों को उस देश का वीजा स्वयं प्राप्त करना होगा, जहाँ वह अध्ययन के लिये जा रहे हैं। वीजा जिस देश के लिये प्राप्त किया जायेगा, उसमें यह स्पष्ट उल्लेख होना चाहिये कि आवेदक विद्यार्थी अध्ययन के उद्देश्य से वीजा प्राप्त कर रहा है। छात्रवृत्ति, छात्र वीजा (स्टूडेंट वीजा) के आधार पर ही जारी की जायेगी।

उच्च शिक्षा अध्ययन के देश
विदेश में उच्च शिक्षा अध्ययन के लिये विद्यार्थी ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, डेनमार्क, फिनलैण्ड, फ्रांस, हांगकांग, आयरलैण्ड, जापान, दक्षिण कोरिया, नीदरलैण्ड, न्यूजीलैण्ड, नार्वे, रशिया, सिंगापुर, स्विटजरलैण्ड, ताईवान, यू.के. तथा अमेरिका की निर्धारित शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश ले सकते हैं।


समेकित बाल संरक्षण योजनांतर्गत प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित
बैतूल, 06 फरवरी 2019
समेकित बाल संरक्षण योजनांतर्गत बुधवार 6 फरवरी को जिला पंचायत के सभाकक्ष में एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री भूपेन्द्र कुमार निगम ने की। कार्यशाला में बालकों से संबंधित विविधि अधिनियम यथा किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 एवं नियम 2016, बालकों का लैंगिक अपराधों का संरक्षण अधिनियम 2012, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, बाल श्रमिक प्रतिषेध अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जानकारी दी गई।
कार्यशाला में जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री निगम द्वारा बालकों के लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम 2012 के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि बच्चों के साथ लैंगिक अपराध करने वालों पर सूक्ष्मता एवं गहनता के साथ जांच-पड़ताल की जानी चाहिए ताकि कोई भी दोषी व्यक्ति बच न पाए तथा पीडि़त बालिकाओं को मध्यप्रदेश पीडि़त प्रतिकर योजना, नि:शुल्क विधिक सहायता संबंधी विभिन्न योजनाओं का लाभ देना चाहिए। 
बाल संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य श्री विभांशु जोशी द्वारा किशोर न्याय अधिनियम 2015 एवं 2016 की विस्तृत जानकारी देते हुए महत्वपूर्ण बिंदुओं पर उदाहरण सहित प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम में बालकों के सर्वोत्तम हित एवं बाल हितैषी वातावरण में ही संवेदनशीलता के साथ बालकों से व्यवहार सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने बिना सक्षम प्राधिकारी के बालकों की पहचान उजागर न करने, बालकों के साथ क्रूरता बरतने, भिक्षावृत्ति करवाने, अनैतिक व्यापार करवाने वालों के खिलाफ विभिन्न प्रावधानों के संबंध में जानकारी दी। कार्यशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री सुमन कुमार पिल्लई द्वारा कार्यक्रम के उद्देश्यों पर संक्षिप्त जानकारी दी गई।
कार्यशाला में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री अनिल ददेंलिया, प्रधान मजिस्ट्रेट किशोर न्याय बोर्ड श्रीमती सुनीता ताराम, महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री राधेश्याम वर्मा, अध्यक्ष एवं सदस्य बाल कल्याण समिति, सदस्यगण किशोर न्याय बोर्ड, जिला श्रम पदाधिकारी, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी समस्त थाना, समस्त परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक महिला एवं बाल विकास विभाग, किशोर न्याय अधिनियम अंतर्गत संचालित समस्त शासकीय एवं अशासकीय संस्था संचालक एवं कर्मचारी, चाइल्ड लाइन एवं समेकित बाल संरक्षण योजना के समस्त अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे। 


जल संरक्षण के लिए पुरजोर प्रयास हों-कलेक्टर श्री पिथोड़े
पूर्णा नदी क्षेत्र में भी जल संरक्षण के कार्य प्रारंभ किए जाएं-विधायक श्री धरमूसिंह सिरसाम
भैंसदेही में सरपंच-सचिवों की जल संरक्षण कार्यशाला आयोजित
बैतूल, 06 फरवरी 2019
कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोड़े ने कहा कि आगामी दिनों में संभावित जल संकट को देखते हुए समूचे जिले में जल संरक्षण के लिए पुरजोर प्रयास किए जाएं। इसके लिए छोटी-छोटी जल संरचनाएं निर्माण की जाए। सरकारी एवं निजी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएं। साथ ही लोगों को पानी बचाने के लिए प्रेरित किया जाए। श्री पिथोड़े भैंसदेही में आयोजित सरपंच-सचिवों की जल संरक्षण की कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में विशेष रूप से उपस्थित विधायक भैंसदेही श्री धरमू सिंह सिरसाम ने पूर्णा नदी क्षेत्र में जल संरक्षण के कार्य प्रारंभ करने की आवश्यकता जताई। इस दौरान सीईओ जिला पंचायत श्री क्षितिज कुमार सिंहल भी मौजूद थे। 
कार्यशाला में कलेक्टर ने कहा कि जिले में वर्षा जल को रोकने के लिए अभी से प्रबंध किए जाएं। इसके अलावा जल संरचनाओं को रिचार्ज करने के लिए भी उनके आसपास वाटर रिचार्ज सिस्टम एवं सोकपिट तैयार करवाए जाएं। कलेक्टर ने इस दौरान जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता की स्थिति की भी समीक्षा की। इसके साथ ही मैदानी कर्मचारियों से ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट निवारण के उपायों पर भी जानकारी ली। कार्यशाला में कलेक्टर ने कहा कि जिले में जल संकट के निवारण हेतु प्रारंभ किए जाने वाले निर्माण कार्यों में स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी श्रमदान भी करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इन कार्यों में जन भागीदारी के लिए आगे आ सकें।
कुकरू-खामला क्षेत्र का भ्रमण
कलेक्टर ने इस दौरान ग्राम कुकरू एवं खामला का भी भ्रमण किया। ग्राम खामला में 50 लाख की लागत से निर्माणाधीन तालाब का निरीक्षण करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के तालाब हर ग्राम पंचायत में निर्मित करवाए जाएं। वहीं ग्राम कुकरू में भ्रमण के दौरान यहां जल संरक्षण हेतु जल संरचनाओं के निर्माण की साइट्स का भी अवलोकन किया। इसके अलावा ग्राम में संचालित बालक आश्रम शाला का भी निरीक्षण किया। आश्रम शाला के निरीक्षण के दौरान उन्होंने अधीक्षक एवं छात्रों से चर्चा की तथा यहां उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के भी निर्देश दिए|

संस्था प्रबंधक निलंबित
बैतूल, 06 फरवरी 2019
प्रशासक प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति मर्यादित केसिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार समिति केसिया द्वारा जय किसान फसल ऋण माफी योजना अंतर्गत तैयार सूचियों की खातों से जांच किए जाने के उपरांत पाई गई अनियमितताओं के लिए प्रस्तुत प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोड़े एवं उपायुक्त सहकारिता के निर्देशों के पालन में जांच में पाई गई अनियमितताओं के लिए संस्था प्रबंधक श्री सुरेन्द्र मिश्रा को संस्था के कर्मचारी सेवा नियम क्रमांक 24 के तहत दोषी मानते हुए संस्था के प्रबंधक के पद से निलंबित कर श्री मिश्रा के विरूद्ध विभागीय जांच संस्थित की गई है। 

जय किसान फसल ऋण माफी योजना में अनियमितता
समिति प्रबंधक के खिलाफ एफआईआर दर्ज
बैतूल, 06 फरवरी 2019
जय किसान फसल ऋण माफी योजना के क्रियान्वयन में अनियमितता बरतने पर विकासखण्ड भीमपुर के चिल्लौर में पदस्थ सहकारी समिति के प्रबंधक श्री यदुराज विश्वकर्मा के विरूद्ध पुलिस थाना मोहदा में एफआईआर दर्ज कराई गई है। 
कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोड़े के निर्देश पर सहकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा उक्त एफआईआर दर्ज करवाने की कार्रवाई की गई है।


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बड़ी खबर सांसद ज्योति धुर्वे, जाति प्रमाण पत्र निरस्त

ग्रामीण मीडिया संवाददाता

बैतूल की सांसद ज्योति धुर्वे की जाति मामले का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है।इस बार उनके लिए बहुत बुरी खबर है। सांसद की जाति प्रमाण पत्र को हाई पावर छानबीन समिति ने रिवीव पिटीशन के बाद निरस्त कर दिया है यानी उनकी पिटीशन खारिज कर दी गयी है। लेकिन फिलहाल यह आदेश अभी सार्वजनिक नही किया गया है।हालांकि शिकायत कर्ता एडवोकेट शंकर पेंदराम ने इसकी पुष्टि की है।


छानबीन समिति ने बीते 3 मई को सांसद के प्रमाण पत्र के निरस्ती का आदेश किया था लेकिन सांसद ने उस समय इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी थी। आज समिति द्वारा खारिज की गई पिटीशन की पुष्टि शिकायतकर्ता अधिवक्ता शंकर पेंदाम ने की है।
गौरतलब है कि पिछले 3 मई को  समिति ने उनके संदेहास्पद जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर जांच रिपोर्ट प्रमुख साचिव आदिवासी विकास को भेज दी थी। उस समय जांच में पाया गया था कि ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र 1984 में रायपुर के आदिवासी विभाग के संयोजक से बनवाया गया था।इसी प्रमाण पत्र को बैतूल की ग्राम पंचायत चिल्कापुर के सत्यापन के आधार पर तत्कालीन भैसदेही तहसीलदार ने जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया था। बताया जा रहा है कि सांसद ने छानबीन समिति के सामने अपनी जाति को लेकर जितने भी साक्ष्य प्रस्तुत किये वे पिता के परिवार और पिता की वंशावली के अनुरूप नहीं पाये गए है।सारे प्रमाण मातृ पक्ष से प्रस्तुत किये गए है। समिति की इस जांच के बाद सांसद की मुश्किलें बढ़ गयी थी।लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार की वजह से यह मामला टल गया था। इस मामले को कोर्ट तक खींच कर ले जाने वाले अधिवक्ता शंकर पेन्दराम ने  बताया कि  आवेदन पिछले 9 साल से लंबित था जिसे लेकर उन्होंने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका भी दाखिल की थी। उन्होंने कहा कि इस आदेश के बावजूद सांसद के पास अभी अदालत जाने का मौका है। उन्होंने खबरम को बताया कि उन्हें भी सांसद की रिवीव पिटीशन खारिज होने की जानकारी मिली है।इधर इस मामले की पुष्टि और पक्ष जानने के लिए खबरम ने सांसद ज्योति धुर्वे,उनके पीए मुरली पाल और भाजपा जिलाध्यक्ष वसंत मकोड़े से संपर्क किया तो तीनों ने फोन नही उठाया।

हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे
इस मामले में मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक सांसद इस फैसले औऱ पिटीशन खारिज करने के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। सूत्रों ने बताया कि रिवीव पिटीशन के बाद समिति ने सांसद और बालाघाट तहसीलदार को बयान दर्ज कराने तलब किया था लेकिन उन तारीखों पर बयान दर्ज न कर पेशी तारीख बढ़ा दी गयी। इस मामले में बताया जा रहा है कि  सांसद ज्योति धुर्वे का प्रमाण पत्र जिन जमीनों के दस्तावेजो में उनके पिता के नाम के बिना पर निरस्त करने का आदेश किया गया है।उस दावे को सांसद ने समिति के सामने चुनौती दी थीं।सूत्र बताते है कि जिस भूमि पर सांसद के पिता का नाम दर्ज बताया गया था।जांच में वह गलत तरीके से जोड़ना पाया गया है।सूत्र तो यहां तक बता रहे है कि उसमें ओवर राइटिंग की गई थी।

सांसद के लिए नुकसानदेह
।बताया जा रहा है कि समिति द्वारा अपने पूर्ववर्ती आदेश को यथावत रखने से सांसद अब बड़ी मुश्किल में है ।हालांकि उनका लोकसभा सत्र अंतिम चरण में है। इस फैसले के खिलाफ अगर उन्हें अदालतों से भी राहत नही मिलती है तो सांसद रहते लिए गए वेतन भत्ते,आयोग सदस्य के तौर पर ली गयी सुविधाओ की रिकवरी की मांग उनके विरोधी कर सकते है।वही जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताकर उनके खिलाफ जालसाजी की भी आपराधिक कार्रवाई की मांग की जा सकती है।



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थाना, झल्लार में पुलिस ने विधार्थीओ को हेमेट अभियान की जानकारी दी

ग्रामीण मीडिया संवाददाता 
थाना झल्लार 


लापरवाही के कारण प्रतिदिन हादसे का शिकार आज शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय झल्लार एवं बस स्टैंड मे नेपाल सिंह ठाकुर थाना प्रभारी झल्लार द्वारा राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा  सप्ताह  के तहत अभियान चलाया जा रहा है आम सड़क उपयोगकर्ताओं को बताया गया कि देश में सड़क सड़क दुर्घटना में प्रतिशत युवाओं का है जिनकी उम्र 40 वर्ष के मध्य है दो पहिया एवं चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट वा हेलमेट लगाएं नशा करके  वाहन ना  चलावे ओवरलोडिंग वाहन ना चलाएं बिना रजिस्ट्रेश लाइसेंस के वाहन ना चलाये एवं 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे बच्चों को वाहन न चलाने दें यातायात नियमों का पालन करें।समझाइस दी गई।
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मंत्री सुखदेव पांसे की मुलताई विधान सभा मे उनके आदेशो की होती है, अवेहलना गली-गली बिक रही शराब

ग्रामीण मीडिया संवाददाता


सत्ता बदली, सरकार बदली पवित्र नगर में मंत्री विधायक सुखदेव पांसे के आदेश के बाद भी पवित्र नगर में शराब की व्यवस्था नही बदली।
जाने पवित्र नगर मुलताई में कैसे होती है, शराब की तस्करी।
मुलताई में हर दिन सुबह सफेद रंग की  एक जीप सफेद रंग की एमपी 22 R 0786 बैतुल रोड की अंग्रेजी दुकान के सामने से सुबह 7 से 7.30  बजे फिर देशी दुकान से माल लेकर मासोद रोड से बेलदार मोहल्ला होते हुए। आजाद वार्ड से वापसी विरूल रोड होते हुए फोर लेन से देशी दुकान होते वापस जाती है। फिर सड़क किनारों के ढाबो का भ्रमण करके वापस बैतूल रोड़। नोट- ये वाहन नियम विरुद्ध नगर में देशी ओर विदेशी शराब की पेटी सप्लाई करती है। आबकारी विभाग और पुलिस दबिश देकर दारु पकड़ते है। पर कभी जाँच में कहा से आया और किसने पहुचाई। 
आये दिन समाचारो में नगर में वार्ड-वार्ड में कैसे पहुचता ही शराब देशी और अंग्रेजी की अगर आबकारी पुलिस जिस को सब मालूम है। इस प्रकार के वाहनों और चेयनित स्थलों पर अगर मंत्री जी आदेश करे तो नगर के भिन्न-भिन्न स्थलों तक अगर शराब पहुचना ही बन्द हो जाए तो मंत्री जी के आदेश का पालन भी ही जायेगा।न
मंत्री सुखदेव पांसे जी ने प्रशासन को मंच से खुली चेतावनी कहा था कि, नगर में अवैध गतिविधि रुके खास करके शराब बिक्री को रोको। मुलताई विधानसभा को आदर्श और मॉडल विधानसभा बनाएगे।
ग्रामीण मीडिया सेण्टर मुलताई के पास इस सप्लाई का विडियो भी है। थोड़ा अधिक समय का होने से केवल फ़ोटो पोस्ट की है।
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मध्यप्रदेश में पुजारियों की नियुक्ति प्रकिया निर्धन

ग्रामीण मीडिया संवाददाता 
पुजारियों की नियुक्ति एवं पद मुक्ति की प्रक्रिया निर्धारित
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वंश परम्परा और गुरू-शिष्य परम्परा को मिलेगी प्राथमिकता
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अध्यात्म विभाग द्वारा शासन संधारित देव स्थानों के पुजारियों की नियुक्ति और पदमुक्ति संबंधी प्रक्रिया निर्धारित कर दी गई है। पद रिक्त होने पर निर्धारित प्रक्रिया और नियमों का पालन किया जाकर नियुक्तियाँ प्रदान की जायेंगी। पुजारियों की नियुक्ति में वंश परम्परा और गुरू-शिष्य परम्परा को प्राथमिकता दी जायेगी। पुजारियों के नाम की प्रविष्टियाँ खसरे में भी की जायेगी। तहसील एवं पटवारी स्तर पर पुजारी पंजी संधारित होगी।
उल्लेखनीय है कि पहली बार प्रदेश सरकार द्वारा पुजारियों की नियुक्तियों के संबंध में नियम और प्रक्रिया निर्धारित की गई है। शासन द्वारा संधारित देव स्थानों के पुजारियों की नियुक्ति हेतु 9 अर्हताएँ तय की गई हैं। नियुक्ति की प्रक्रिया भी निर्धारित की गई है। पुजारियों के कर्त्तव्य और दायित्वों के साथ ही पुजारियों की पदमुक्ति तथा पद रिक्त होने पर व्यवस्था के नियम भी बनाये गये हैं। यह नियम नवीन पुजारी की नियुक्ति के लिए ही प्रभावी होंगे। पूर्व से कार्यरत पुजारी के लिए यह नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावी नहीं होगी।

नियुक्ति की अर्हताएँ
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पिता पुजारी होने की दशा में उसी वंश के आवेदक को अन्य सभी अर्हता पूर्ण करने पर प्राथमिकता दी जायेगी। पुजारी पद के लिये आठवीं तक शिक्षित होकर न्यूनतम उम्र 18 वर्ष एवं स्वस्थ चित्त होना आवश्यक है। पूजा विधि का प्रमाण-पत्र परीक्षा उत्तीर्ण होकर पूजा विधि का ज्ञान और शुद्ध शाकाहारी होना जरूरी है। पुजारी मद्यपान न करने वाला और अपराधिक चरित्र का नहीं होना चाहिए। देव स्थान की भूमि पर अतिक्रमण अथवा देव स्थान की अन्य सम्पत्ति खुर्द-बुर्द करने का दोषी नहीं होना चाहिए।
यदि कोई मंदिर मठ की श्रेणी में आता है और उस मंदिर पर किसी सम्प्रदाय विशेष अथवा अखाड़ा विशेष के पुजारी होने की परम्परा होने पर गुरू-शिष्य परम्परा के आधार पर पुजारी की नियुक्ति प्राथमिकता से की जायेगी। किसी दरगाह, खानकाह या तकिया पर सज्जादानशीन/मुजाविर आदि की नियुक्ति में वंश परम्परा की प्रथा है, तो नियुक्ति के समय उसका ध्यान रखा जायेगा।

नियुक्ति की प्रक्रिया
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किसी देव-स्थान पर पुजारी का पद रिक्त होने की दशा में आवेदन निर्धारित प्रारूप पर ऐसे अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को प्रस्तुत किया जावेगा, जिसकी स्थानीय अधिकारिता में देव-स्थान स्थित हो। आवेदन पत्र के साथ शपथ पत्र पर अण्डरटेकिंग भी प्रस्तुत करनी पड़ेगी जिसमें स्पष्ट उल्लेख होगा कि वह संबंधित देवस्थान की चल-अचल सम्पत्ति पर किसी स्वत्व आधिपत्य संबंधी दावा नहीं करेगा।
आवेदन प्राप्त होने पर 15 दिवस की उदघोषणा जारी कर आपत्ति आमंत्रित की जायेगी। इसी अवधि में यदि अपेक्षित हो तो पटवारी/तहसीलदार आदि का प्रतिवेदन बुला सकेगा। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) उदघोषणा अवधि पूर्ण होने पर कोई आपत्ति प्राप्त न होने पर आगामी कार्यवाही करेगा। साक्ष्य ले सकेगा। दस्तावेज आदि प्राप्त कर सकेगा। आवश्यक होने पर स्थानीय जाँच स्वयं कर सकेगा अथवा तहसीलदार/नायब तहसीलदार से करा सकेगा।
जाँच पूर्ण होने पर स्पीकिंग आर्डर जारी करेगा, जिसकी एक-एक प्रति तहसीलदार, कलेक्टर, औकाफ बोर्ड तथा संचालक धर्मस्व को भेजी जायेगी। एक प्रति नियुक्त पुजारी को भी दी जावेगी। नियुक्ति आदेश के बाद अनुविभागीय अधिकारी तहसीलदार के माध्यम से संबंधित देवस्थान का आधिपत्य पुजारी को देगा। आधिपत्य देते समय चल-अचल सम्पत्ति की सूची 3 प्रति में तैयार की जायेगी। एक प्रति पुजारी के पास एक तहसील कार्यालय में तथा एक प्रति पुजारी नियुक्ति की नस्ती में सुरक्षित रखी जायेगी। मंदिर का आधिपत्य देने के बाद ही नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण मानी जायेगी।

तहसील और पटवारी स्तर पर पुजारी पंजी संधारित होगी और खसरे में नाम अंकित होगा
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तहसील में पटवारी स्तर पर पुजारी पंजी संधारित की जायेगी। पंजी में पुजारी नियुक्ति आदेश अनुसार प्रविष्टि की जाएगी। यदि देवी स्थान की सेवा पूजा के लिए कृषि भूमि देव स्थान के नाम है तो ऐसी भूमि पर खसरे के कॉलम नंबर 12 में भी नियुक्ति आदेश की केवल सांकेतिक प्रविष्टि की जाएगी। इसके आधार पर स्वत्व/आधिपत्य संबंधी हित सृजित नहीं होंगे। पुजारी नियुक्ति की प्रक्रिया स्वप्रेरणा से बगैर किसी आवेदन के भी आरंभ की जा सकेगी। प्रतिमाह होने वाली पटवारियों की बैठक में तहसीलदार रिक्त पुजारी पद की जानकारी लेंगे, तथा रिक्त पद होने पर प्रतिवेदन अनुविभागीय अधिकारी को प्रस्तुत करेंगे। प्रतिवेदन प्राप्त होने पर अनुविभागीय अधिकारी सूची स्वयं से नियुक्ति हेतु प्रकरण पंजीबद्ध करेंगे। उद्घोषणा जारी कर आवेदन पत्र आमंत्रित कर उपरोक्त प्रक्रिया का पालन करते हुए नियुक्ति की कार्यवाही करेंगे।

अधिकतम तीन माह की अवधि में पुजारी की नियुक्ति होगी
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किसी भी हालत में देवस्थान अपूज्य नहीं रहना चाहिए। यदि पुजारी की नियुक्ति में समय लग रहा है तो पुजारी नियुक्ति की अंतिम कार्यवाही पूर्ण होने तक पूजा करने के योग्य व्यक्ति से अस्थाई पुजारी के रूप में काम लिया जा सकेगा। ऐसे अस्थाई पुजारी को केवल पूजा करने की अवधि का मानदेय ही प्राप्त होगा। पुजारी पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया अधिकतम तीन माह में अनिवार्य रूप से पूर्ण कर ली जायेगी। अधिक समय लगने की दशा में कलेक्टर से अनुमति प्राप्त करनी होगी। ऐसी अनुमति प्राप्त होने की तिथि से आगामी 3 माह में नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करना अनिवार्य होगा।
अनुविभागीय अधिकारी के अंतिम आदेश की प्रथम अपील 30 दिन में कलेक्टर को की जा सकेगी। कलेक्टर के आदेश की अपील 30 दिन के अवधि में आयुक्त को तथा आयुक्त के आदेश की अपील एक माह में राज्य शासन को की जा सकेगी। राज्य शासन का आदेश अंतिम होगा। पुजारी नियुक्ति की प्रक्रिया में सिविल न्यायालय की अधिकारिता वर्जित होगी।

पुजारी के कर्त्तव्य व दायित्व
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पुजारी विधि-विधान से परंपरा अनुसार देवस्थान की सेवा पूजा करेगा। देव स्थान की साफ रखेगा। मंदिर में श्रद्धालुओं की श्रद्धा अनुरूप वातावरण बनाए रखेगा। मंदिर की चल-अचल संपत्ति की सुरक्षा उसी प्रकार करेगा जैसे खुद की संपत्ति की जाती है। देवस्थान की संपत्तियों में अपने किसी प्रकार के हित सृजित नहीं करेगा। साथ ही पुजारी शासन की जन-कल्याणकारी योजना में उत्प्रेरक का कार्य भी करेगा।

पदच्युति
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पुजारी की पदच्युति स्वस्थ चित्त न रहने, देवस्थान की चल-अचल संपत्ति में हित का दावा करने, चारित्रिक दोष पैदा होने, देव स्थान की सेवा-पूजा एवं संपत्ति की सुरक्षा में लापरवाही प्रदर्शित होने और शासन के आदेशों की अवहेलना करने पर हो सकेगी।

पुजारी का पद रिक्त होने पर व्यवस्था
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देवस्थान अपूज्य न रहे यह सुनिश्चित करना जिला प्रशासन का दायित्व होगा। अत: पुजारी की मृत्यु होने अथवा पद से पृथक किए जाने की दशा में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पुजारी की स्थाई नियुक्ति होने तक किसी योग्य व्यक्ति से अस्थाई पुजारी के रूप में काम ले सकेंगे। पुजारी पद पर विधिवत नियुक्ति होने पर ऐसा व्यक्ति स्वत: पूजा के दायित्व से मुक्त माना जाएगा। जिस अवधि में अस्थाई पुजारी द्वारा पूजा की गई है उस अवधि का मानदेय उसे प्राप्त करने की पात्रता होगी।
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