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Thursday, 21 June 2018

बैतूल बस पेड़ से टकराई, 1 की मौत 5 घायल घटना सुबह 4 बजे की...

ग्रामीण मीडिया सेण्टर| 


बैतूल/चिचोली ।। हेमंत पवार/राजेन्द्र दुबे ।।

बैतूल जिले के गवासेन के पास आज सुबह एक रात्रि कालीन यात्री बस पेड़ से टकराकर पलट गई । दुर्घटना सुबह 4 बजे की बताई जा रही है जब अमरावती से इंदौर जा रही स्काई बस पेड़ से टकराकर पलट गई जिसमे एक महिला यात्री की मौत हो गई जबकि 5 अन्य यात्री घायल बताए जा रहे है । घायलो का इलाज हरदा जिले के टिमरनी के अस्पताल में चल रहा है । मृतक का नाम रूपाली डांगे बताया जा रहा है जो की आठनेर की रहने वाली है ।  चिचोली पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक बस तेज़ गति में जिसके चलते दुर्घटना हुई है । मृतका रूपाली स्लीपर कोच में अपनी 4 महीने की बच्ची के साथ सोई हुई थी जैसे ही बस पेड़ टकराई रूपाली बस से बहार गिर गई जिसमे उसकी मौत हो गई जबकि बच्ची को खरोच तक नहीं आई है । पुलिस के मुताबिक स्काई बस क्रमांक MP-32-B-0270 है जो दुर्घटनाग्रस्त हुई है । 

5 घायलो में 2 इंदौर के जबकि 3 आठनेर के रहने वाले है । घायलो में सुनील डांगे 24 साल निवासी साउंगी, आठनेर, योगेश डांगे 24 साल निवासी बाकुड़, आठनेर, कृष्णा मकोड़े उम्र 47 साल बाणगंगा, इंदौर, अजाब राव उम्र 38 निवासी बाणगंगा, इंदौर और प्रियंका धोटे उम्र 19 निवासी बाकुड़, आठनेर है । 


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मुलताई पर्चुन से भरे कंटेनर में हुई चोरी

ग्रामीण मीडिया सेण्टर| 



मुलताई।। रवि पाटिल ।। 

नगर से होकर गुजरने वाले हाईवे पर पर्चुन से भरे कंटेनर से 200 बॉक्स रहस्यमय तरीके से चोरी हो गए। कंटेनर चालक टेकचंद यादव निवासी इलाहाबाद ने बताया कि इंदौर से नागपुर कंटेनर में पर्चुन भरकर जा रहा था। बुधवार शाम को बैतूल के समिप उसने ट्रक रोका व चाय नास्ता किया। जिसके बाद वह मुलताई की ओर रवाना हुआ। टेकचंद ने बताया कि एक ट्रक ने उसे ओवरटेक कर कंटेनर का गेट तिरछा होने की जानकारी दी,तब उसने कंटेनर को साईड में खड़ा कर देखा तो पर्चुन से भरे लगभग 200 बॉक्स गायब मिले। उसने तत्काल इसकी सूचना अपने मालिक को दी, जिसके बाद मालिक के साथ मुलताई थाना पहुंचकर एक लिखित आवेदन दिया।


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आकाशीय बिजली गिरने से किसान की मौत

ग्रामीण मीडिया सेण्टर| 



मुलताई



 तहसील क्षेत्र के प्रभात पट्टन विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत वायगांव की सम्मिलित ग्राम वायगांव ढाना में गुरूवार को दोपहर में खेत में काम कर रहे किसान पर आकाशीय बिजली गिर गई, जिससे किसान की घटना स्थल पर ही मौत हो गई। मिली जानकारी अनुसार किसान रमेश पिता चिक्कू धुर्वे 50 वर्ष खेत में काम कर रहा था। इस दौरान अचानक हल्कि बारीश के साथ आकाशीय बिजली तेज गरज के साथ गिर गई। जिसकी चपेट में आने से किसान की मौके पर मौत हो गई। सूचना मिलते ही मासोद चौकी पर तैनात पुलिस कर्मियों द्वारा मौके पर पहुंचकर पंचनामा तैयार कर शव को पोस्ट मार्टम हेतु भेजा गया।


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दुर्घटना में घायल ट्रेक्टर चालक ने तोड़ा दम

ग्रामीण मीडिया सेण्टर|

इलाज का अधिक खर्च वहन नही कर पाया परिवार, दुर्घटना में घायल ट्रेक्टर चालक ने तोड़ा दम


मुलताई

 तहसील क्षेत्र के ग्राम सर्रा हेटी मार्ग पर 10 जून को दहाड़ नदी की पुलिया में ईंटो से भरी ट्रेक्टर ट्राली पलटने से मौके पर एक बालक की मौत हो गई थी वहीं अन्य मजदूर घायल हुए थे। घायलों में ट्रेक्टर चालक अशोक पिता माटू उईके 22 वर्ष निवासी जमदेही खुर्द भी गंभीर रूप से घायल हुआ था। घायलों को उपचार हेतु नागपुर ले गए थे। जहा अशोक के उपचार हेतु अधिक खर्च बताने पर परिजन इलाज का खर्च वहन करने में असमर्थ थे। जिनके द्वारा अशोक को बगैर उपचार कराए घर ला लिया था। अशोक ने 12 जून को घर में ही दम तोड़ दिया था। परिजनों द्वारा पुलिस को बगैर सूचना दिए अशोक का अंतिम संस्कार तक कर दिया था। जब पुलिस ट्रेक्टर चालक की तलाश में जमदेही खुर्द पहुंचे तो उन्हे अशोक की मौत व उसका अंतिम संस्कार किए जाने की जानकारी लगी। जिसके बाद पुलिस ने गुरूवार को मर्ग कायम किया।

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बैतूल की छात्रा ने की इंदौर में आत्महत्या

ग्रामीण मीडिया सेण्टर|


ग्रामीण मीडिया सेण्टर| 

उस होनहार डॉक्टर का अंतिम पत्र 

आठनेर



इंदौर के प्राइवेट कालेज इंडेक्स में MBBS की पढ़ाई करने वाली बैतूल जिले की छात्रा ने मनमानी फीस वसूली और प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली है । आत्महत्या करने वाली स्मृति साहू ने कॉलेज की दिन रात की प्रताड़ना और मनमानी फीस से तंग आकर यह कदम उठाया और मृतीका के सुसाइट नोट में स्पष्ट रूप से सभी बिन्दुओ का उल्लेख किया है जिससे साफ जाहिर होता है की उसे यह कदम उठाने के लिए बाध्य किया गया। घटना के बाद से हिडली के साहू समाज ने कालेज प्रबन्धन के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग करते है।

।। यह लिखा है सुसाइड नोट में ।।

मुझे माफ कर देना मम्मी, स्वामी और सूर्या, मै डॉ स्मृति लहरपुरे पूरे होश हवास में लिख रही हूं न ही कभी मैने कोई नशे या दवाई का सेवन ही किया है। सबसे पहले मै अपनी माँ और भाईयों से माफी चाहती हूं कि मैं ऐसा कदम उठा रही हूं क्योंकि तुम तीनों ने हर विपरीत परिस्थितियों में मेरा साथ दिया, मै इन लोगों ने और नहीं लड़ सकती इसलिए मुझे माफ कर देना। 

मेरी मौत के लिए सीधे तौर पर इंडेक्स कॉलेज के चैयरमैन सुरेश भदौरिया और उनके कॉलेज का मैनेजमेंट है, इनमें मुख्यरूप से डॉ के के खान हैं क्योंकि इन दोनों के द्वारा मुझे लगातार प्रताडित किया जा रहा था। मैने जून 2017 में नीट परीक्षा के माध्यम से ज्वाइन किया था। काउंस्लिंग के दौरान मुझे जो फीस बताई गई थी उसके अनुसार टयूशन फीस 8 लाख 55 हजार और होस्टल फीस 2 लाख थी। इसके बाद जब मैं कॉलेज में ज्वाइन करने आई तो इंडेक्स कॉलेज प्रबंधन ने मुझसे कॉशन मनी और एक्सट्रा करिकुलर एक्टीविटी के नाम पर फिर 2 लाख मांगे। 

मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूं इसलिए अतिरिक्त फीस नहीं चुका सकती थी लेकिन नीट परीक्षा के बाद बामुश्किल मिला पीजी करने का यह अवसर हाथ से न निकल जाए इसलिए मैने 2 लाख का फिर लोन लिया, इसके बाद जैसे ही मैं ज्वाइन करने पहुंची कॉलेज प्रबंधन ने फिर दो लाख मांग लिए इसके बाद रातभर के प्रयास के बाद मैने अपनी सीट खोने के डर से मैने यह व्यवस्था भी की लेकिन कॉलेज ने टयूशन फीस 8 लाख 55 हजार से 9 लाख 90 हजार कर दी और सभी छात्रों से यह फीस जमा करने को बोला जाहिर से अचानक एक लाख 35 हजार की फीसवृद्धि सहन करना हर किसी के लिए मुश्किल था इसलिए हम सभी लोग इसके खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट गए। इसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर प्रताड़ित करना शुरु कर दिया इसके अलावा फोन पर भी मुझे यह केस वापस लेने के लिए धमकाया जाने लगा। 

इसके बाद कोर्ट ने इंडेंक्स कॉलेज को निर्धारित फीस लेने का आदेश दिया लेकिन इसके बाद फिर अगले साल 2017 में फिर 9 लाख 90 हजार मांगने लगे जो मैने जमा नहीं कर कोर्ट के आदेशानुसार 8 लाख 55 हजार ही जमा किए, इस मामले में कोर्ट जाने पर कॉलेज प्रबंधन हमे लगातार प्रताडित करने लगा खासकर एचओडी डॉ खान, इसके बाद इसी मामले में केस वापस लेने की शर्त पर  एचओडी डॉ खान ने अमानवीय व्यवहार करते हुए सार्वजनिक तौर पर हमे 2 से 3 महिने तक ओटी और डिपार्टमेंट से बाहर निकाले रखा। इसके बाद हमारा स्टायफंड भी काट लिया गया और बिना कारण हमपर हजारों रुपए का फाइन लगाया जाने लगा। कॉलेज प्रबंधन हमे इस समय का स्टायफंड कभी नहीं देना यदि कॉलेज में उस दौरान मेडीकल काउंसिल का दौरा और इनकम टैक्स का छापा नहीं पड़ता। 

मेरी एचओडी के के खान मुझे व्यक्तिगत तौर पर प्रताडित करती थी वह यह सोचती थी  कोर्ट केस करने में मेरी सक्रीय भूमिका है दरअसल वह मानसिक रूप से बीमार है इसलिए वह सायकिक रोग का इलाज भी करवा रही है वह मेडीकल कॉलेज के इस प्रोफेशन के लिए फिट नहीं है खासकर एनेस्थेटिक ब्रांच के लिए। वह हर किसी को प्रताड़ित करती है पर मैं नहीं जानती कि उसे मुझसे क्या प्राव्लम रहती थी वह मेरे लीव एप्लीकेशन पर साइन नहीं करती थी और मेरे लीव पर होने पर एचआर विभाग से मुझपर हजारों रुपए का फाइन लगवाती थी। हम पीसी स्टूडेंट होने के बावजूद भी यहां प्रताड़ित हो रहे हैं हमारा ड्यूटी टाइम सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक है इसके बावजूद दिन में चार बार एटेंडेंस के लिए पंच करना पड़ता है, हद तो यह है कि एक दिन की लीव पर एचओडी डॉ खान ने मुझपर 4500 से 6000 रुपए का फाइन लगाया, जिसपर पहले से ही भारी लोन हो उसके लिए यह राशि भर पाना संभव नही था।

 कुछ दिनो पहले मैने थर्ड ईयर की फीस जमा करने को बोला तो फिर फीस 9 लाख 90 हजार कर दी गई जिसे जमा करने से मैने मना कर दिया इस बारे में मैने डॉ अमोलकर को भी बताया था, इसके बाद चैयरमैन सुरेश भदौरिया ने मैनेजमेंट को उन सभी छात्रों से बकाया फीस वसूलने का आदेश दिया जिन्होंने कोर्ट के निर्देशानुसार फीस जमा की थी यह राशि तीन साल की प्रति छात्र चार लाख 5 हजार थी और किसी भी हालत में मैं बढ़ी हुई फीस जमा नहीं कर सकती थी। मेरे माता पिता पहले से ही बढ़ी हुई फीस के लिए रिश्तेदारों और दोस्तों से रुपए उधार ले चुके थे जिनके बस में यह राशि जमा करना संभव नहीं था। 

मेरी उम्र में अन्य इंजीनियरिंग लॉ और आर्ट सब्जेक्ट इतना कमा लेते हैं कि अपना खर्चा उठा सकें जबकि मैं सिर्फ अपने घरवालों पर ही निर्भर हूं, वह भी इसलिए कि मैं एक डॉक्टर हूं। मैने स्कॉलर और स्कूलिंग रेपुटेड कॉलेज गांधी मेडीकल कॉलेज और सेंट्रल स्कूल से की है मैने इंडेक्स कॉलेज जैसा फर्जी संस्थान पहले कभी नहीं देखा था। यहां कोई इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यवस्था डॉक्टरों और मरीजों के परिजनों के लिए नहीं है। इन्होंने अभी भी रिश्वत और धमकी देकर एमसीआई की मान्यता हासिल की है। मान्यता के दौरान मैने खुद इनके कंसलटेंट के फर्जी दस्तावेज और फर्जी साइन देखे हैं। ये लोग सिर्फ पीजी स्टूडेंट को प्रताडित करने में लगे हैं और खुद की नाकामी का आरोप हमपर लगाकर फीस बढ़ाते हैं और आए दिन हमारा स्टायफंड काटते रहते हैं। 

आधी रात को इनके इशारे पर शराब पीकर कुछ लोग स्टूडेंट के पास भेजे जाते हैं और लोग हमसे कोरे कागज पर साइन मांगते हैं। जो पीजी स्टूडेंट साइन करने से मना कर देता है उसपर अगले दिन मेडीकल सुप्रीटेंडेंट बिना कारण के हजारों रुपए का फाइन लगा देता है। यह असहनीय है मैं इतने इतनी प्रताड़ना और लूट सहते हुए इतने दबाव में काम और पढ़ाई नहीं कर सकती। इसलिए मैने इससे मुक्त होने का निर्णय लिया है मैं हमेशा इन लोगों से नहीं लड़ सकती। 

मैं जानती हूं मैं सुरेश भदौरिया के सामने बहुत छोटी हूं पर मैं अपने माता पिता और परिवार को कर्ज और लोन के बोझ तले नहीं देखना चाहती। मेरी एक ही अंतिम इच्छा है कि सुरेश भदौरिया को इसके बदले में सजा मिलनी चाहिए और मेरे परिवार को मेरी पूरी फीस लौटाई जाना चाहिए। और मेरे साथ पढ़ने वाले पीजी स्टूडेंट से विनती है कि आखिर तक इकट्‌ठे रहकर एक दूसरे की मदद करते रहें। प्लीज इस कॉलेज को बंद करो जहां मरीजों की जिंदगी और कॉलेज स्टूडेंट के करियर का विनाश किया जाता हो।

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बैतूल की छात्रा ने इंदौर की आत्महत्या , पढ़े अंतिम पत्र

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उस होनहार डॉक्टर का अंतिम पत्र 

आठनेर



इंदौर के प्राइवेट कालेज इंडेक्स में MBBS की पढ़ाई करने वाली बैतूल जिले की छात्रा ने मनमानी फीस वसूली और प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली है । आत्महत्या करने वाली स्मृति साहू ने कॉलेज की दिन रात की प्रताड़ना और मनमानी फीस से तंग आकर यह कदम उठाया और मृतीका के सुसाइट नोट में स्पष्ट रूप से सभी बिन्दुओ का उल्लेख किया है जिससे साफ जाहिर होता है की उसे यह कदम उठाने के लिए बाध्य किया गया। घटना के बाद से हिडली के साहू समाज ने कालेज प्रबन्धन के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग करते है।

।। यह लिखा है सुसाइड नोट में ।।

मुझे माफ कर देना मम्मी, स्वामी और सूर्या, मै डॉ स्मृति लहरपुरे पूरे होश हवास में लिख रही हूं न ही कभी मैने कोई नशे या दवाई का सेवन ही किया है। सबसे पहले मै अपनी माँ और भाईयों से माफी चाहती हूं कि मैं ऐसा कदम उठा रही हूं क्योंकि तुम तीनों ने हर विपरीत परिस्थितियों में मेरा साथ दिया, मै इन लोगों ने और नहीं लड़ सकती इसलिए मुझे माफ कर देना। 

मेरी मौत के लिए सीधे तौर पर इंडेक्स कॉलेज के चैयरमैन सुरेश भदौरिया और उनके कॉलेज का मैनेजमेंट है, इनमें मुख्यरूप से डॉ के के खान हैं क्योंकि इन दोनों के द्वारा मुझे लगातार प्रताडित किया जा रहा था। मैने जून 2017 में नीट परीक्षा के माध्यम से ज्वाइन किया था। काउंस्लिंग के दौरान मुझे जो फीस बताई गई थी उसके अनुसार टयूशन फीस 8 लाख 55 हजार और होस्टल फीस 2 लाख थी। इसके बाद जब मैं कॉलेज में ज्वाइन करने आई तो इंडेक्स कॉलेज प्रबंधन ने मुझसे कॉशन मनी और एक्सट्रा करिकुलर एक्टीविटी के नाम पर फिर 2 लाख मांगे। 

मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूं इसलिए अतिरिक्त फीस नहीं चुका सकती थी लेकिन नीट परीक्षा के बाद बामुश्किल मिला पीजी करने का यह अवसर हाथ से न निकल जाए इसलिए मैने 2 लाख का फिर लोन लिया, इसके बाद जैसे ही मैं ज्वाइन करने पहुंची कॉलेज प्रबंधन ने फिर दो लाख मांग लिए इसके बाद रातभर के प्रयास के बाद मैने अपनी सीट खोने के डर से मैने यह व्यवस्था भी की लेकिन कॉलेज ने टयूशन फीस 8 लाख 55 हजार से 9 लाख 90 हजार कर दी और सभी छात्रों से यह फीस जमा करने को बोला जाहिर से अचानक एक लाख 35 हजार की फीसवृद्धि सहन करना हर किसी के लिए मुश्किल था इसलिए हम सभी लोग इसके खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट गए। इसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर प्रताड़ित करना शुरु कर दिया इसके अलावा फोन पर भी मुझे यह केस वापस लेने के लिए धमकाया जाने लगा। 

इसके बाद कोर्ट ने इंडेंक्स कॉलेज को निर्धारित फीस लेने का आदेश दिया लेकिन इसके बाद फिर अगले साल 2017 में फिर 9 लाख 90 हजार मांगने लगे जो मैने जमा नहीं कर कोर्ट के आदेशानुसार 8 लाख 55 हजार ही जमा किए, इस मामले में कोर्ट जाने पर कॉलेज प्रबंधन हमे लगातार प्रताडित करने लगा खासकर एचओडी डॉ खान, इसके बाद इसी मामले में केस वापस लेने की शर्त पर  एचओडी डॉ खान ने अमानवीय व्यवहार करते हुए सार्वजनिक तौर पर हमे 2 से 3 महिने तक ओटी और डिपार्टमेंट से बाहर निकाले रखा। इसके बाद हमारा स्टायफंड भी काट लिया गया और बिना कारण हमपर हजारों रुपए का फाइन लगाया जाने लगा। कॉलेज प्रबंधन हमे इस समय का स्टायफंड कभी नहीं देना यदि कॉलेज में उस दौरान मेडीकल काउंसिल का दौरा और इनकम टैक्स का छापा नहीं पड़ता। 

मेरी एचओडी के के खान मुझे व्यक्तिगत तौर पर प्रताडित करती थी वह यह सोचती थी  कोर्ट केस करने में मेरी सक्रीय भूमिका है दरअसल वह मानसिक रूप से बीमार है इसलिए वह सायकिक रोग का इलाज भी करवा रही है वह मेडीकल कॉलेज के इस प्रोफेशन के लिए फिट नहीं है खासकर एनेस्थेटिक ब्रांच के लिए। वह हर किसी को प्रताड़ित करती है पर मैं नहीं जानती कि उसे मुझसे क्या प्राव्लम रहती थी वह मेरे लीव एप्लीकेशन पर साइन नहीं करती थी और मेरे लीव पर होने पर एचआर विभाग से मुझपर हजारों रुपए का फाइन लगवाती थी। हम पीसी स्टूडेंट होने के बावजूद भी यहां प्रताड़ित हो रहे हैं हमारा ड्यूटी टाइम सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक है इसके बावजूद दिन में चार बार एटेंडेंस के लिए पंच करना पड़ता है, हद तो यह है कि एक दिन की लीव पर एचओडी डॉ खान ने मुझपर 4500 से 6000 रुपए का फाइन लगाया, जिसपर पहले से ही भारी लोन हो उसके लिए यह राशि भर पाना संभव नही था।

 कुछ दिनो पहले मैने थर्ड ईयर की फीस जमा करने को बोला तो फिर फीस 9 लाख 90 हजार कर दी गई जिसे जमा करने से मैने मना कर दिया इस बारे में मैने डॉ अमोलकर को भी बताया था, इसके बाद चैयरमैन सुरेश भदौरिया ने मैनेजमेंट को उन सभी छात्रों से बकाया फीस वसूलने का आदेश दिया जिन्होंने कोर्ट के निर्देशानुसार फीस जमा की थी यह राशि तीन साल की प्रति छात्र चार लाख 5 हजार थी और किसी भी हालत में मैं बढ़ी हुई फीस जमा नहीं कर सकती थी। मेरे माता पिता पहले से ही बढ़ी हुई फीस के लिए रिश्तेदारों और दोस्तों से रुपए उधार ले चुके थे जिनके बस में यह राशि जमा करना संभव नहीं था। 

मेरी उम्र में अन्य इंजीनियरिंग लॉ और आर्ट सब्जेक्ट इतना कमा लेते हैं कि अपना खर्चा उठा सकें जबकि मैं सिर्फ अपने घरवालों पर ही निर्भर हूं, वह भी इसलिए कि मैं एक डॉक्टर हूं। मैने स्कॉलर और स्कूलिंग रेपुटेड कॉलेज गांधी मेडीकल कॉलेज और सेंट्रल स्कूल से की है मैने इंडेक्स कॉलेज जैसा फर्जी संस्थान पहले कभी नहीं देखा था। यहां कोई इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यवस्था डॉक्टरों और मरीजों के परिजनों के लिए नहीं है। इन्होंने अभी भी रिश्वत और धमकी देकर एमसीआई की मान्यता हासिल की है। मान्यता के दौरान मैने खुद इनके कंसलटेंट के फर्जी दस्तावेज और फर्जी साइन देखे हैं। ये लोग सिर्फ पीजी स्टूडेंट को प्रताडित करने में लगे हैं और खुद की नाकामी का आरोप हमपर लगाकर फीस बढ़ाते हैं और आए दिन हमारा स्टायफंड काटते रहते हैं। 

आधी रात को इनके इशारे पर शराब पीकर कुछ लोग स्टूडेंट के पास भेजे जाते हैं और लोग हमसे कोरे कागज पर साइन मांगते हैं। जो पीजी स्टूडेंट साइन करने से मना कर देता है उसपर अगले दिन मेडीकल सुप्रीटेंडेंट बिना कारण के हजारों रुपए का फाइन लगा देता है। यह असहनीय है मैं इतने इतनी प्रताड़ना और लूट सहते हुए इतने दबाव में काम और पढ़ाई नहीं कर सकती। इसलिए मैने इससे मुक्त होने का निर्णय लिया है मैं हमेशा इन लोगों से नहीं लड़ सकती। 

मैं जानती हूं मैं सुरेश भदौरिया के सामने बहुत छोटी हूं पर मैं अपने माता पिता और परिवार को कर्ज और लोन के बोझ तले नहीं देखना चाहती। मेरी एक ही अंतिम इच्छा है कि सुरेश भदौरिया को इसके बदले में सजा मिलनी चाहिए और मेरे परिवार को मेरी पूरी फीस लौटाई जाना चाहिए। और मेरे साथ पढ़ने वाले पीजी स्टूडेंट से विनती है कि आखिर तक इकट्‌ठे रहकर एक दूसरे की मदद करते रहें। प्लीज इस कॉलेज को बंद करो जहां मरीजों की जिंदगी और कॉलेज स्टूडेंट के करियर का विनाश किया जाता हो।

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