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Sunday, 3 June 2018

जिले की प्रमुख ख़बरें एक नज़र में 4/06/2018



बिरुल बाजार चौराहे पर ओवरब्रिज नहीं बना तो होती रहेंगी दुर्घटनाएं 
मुलताई | साहब, हाईवे पर बिरुल बाजार चौराहे पर आए दिन एक्सीटेंड हो रहे हैं। अधिकांश दुर्घटनाओं में वाहन चालक मौत के मुंह में समा गए हैं। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए इस स्थान पर ओवरब्रिज बनाया जाना चाहिए। ओवरब्रिज नहीं बना तो आए दिन दर्दनाक घटनाएं होते रहेंगी। यह बात शनिवार को सेन समाज संघ के सदस्यों ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर कही। कांग्रेस नेता हाजी शमीम खान के नेतृत्व में पहुंचे सेन समाज संघ के सदस्यों ने उनकी मांग को सड़क परिवहन मंत्री तक पहुंचाने की मांग की। सेन समाज संघ के यादोराव निंबालकर, प्रभाकर बोरकर, दिलीप रायपुरे, गणेश सराठे, अशोक आस्करकर, रामप्रसाद नगदे, खुशालीराम कडुकार आदि ने कहा 28 मई की रात में सेन समाज संघ के सदस्य और भाकपा नेता संतोष सराठे की भी बिरुल बाजार चौराहे पर कार की टक्कर से मौत हो चुकी है। इसके पहले भी इस स्थान पर हादसे हुए हैं। बिरुल बाजार की ओर जाने वाले वाहन चालकों को हाईवे से तेज रफ्तार से आने वाले वाहन नजर नहीं आते। यही कारण है इस स्थान पर दुर्घटनाएं हो रही हैं। चौराहे पर ओवरब्रिज बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही सेन समाज संघ ने मृतक संतोष सराठे के परिवार को उचित मुआवजा देने की भी मांग की।

तवा नदी में फेंक रहे पोल्ट्री फार्म में मरे मुर्गे-मुर्गियां, बिमारी फैलने का अंदेशा 
मुलताई| नेशनल हाईवे पर ग्राम नगरकोट के पास तवा नदी पर पोल्ट्री फार्म के मरे हुए मुर्गे मुर्गियां फेंके जा रहे हैं। जिससे नदी प्रदूषित हो रही है। मृत मुर्गे मुर्गियों की दुर्गंध से आसपास खेतों में काम करने वाले किसान भी परेशान हैं। किसान ओमकार साहू, बलवीरसिंह, सुरेंद्रसिंह सहित अन्य किसानों ने बताया आसपास स्थित पोल्ट्री फार्म में मरने वाले मुर्गे मुर्गियों को वाहन में भरकर नदी के किनारे लाकर फेंका जा रहा है। जिससे बीमारी फैलने का डर सता रहा है। नदी में गंदगी करने वालों का पता लगाकर कार्रवाई की जाना चाहिए। 


जंबाड़ी डेम के डूब क्षेत्र से काली मिट्टी का अवैध खनन करते दो ट्रैक्टर-ट्राॅली जब्त 
मुलताई| जंबाड़ी डेम के डूब क्षेत्र से अवैध रूप से मिट्टी की खुदाई कर ट्रैक्टर-ट्राॅली से परिवहन हो रहा है। पिछले कई दिनों से डेम की खुदाई कर ट्रैक्टर-ट्राॅली से मिट्टी ले जाई जा रही है। रविवार को भी डेम क्षेत्र में काली मिट्टी का खनन हो रहा था। सूचना पर जल संसाधन उपसंभाग के उपयंत्री मौके पर पहुंचे और दो ट्रैक्टर-ट्राॅली को जब्त किए। ग्रामीणों ने बताया डेम के सूखने के बाद से रोज मिट्टी की खुदाई कर ट्रैक्टर-ट्राॅली में भरकर ले जाई जा रही है। सुबह से शाम तक और देर रात्रि में भी अवैध खनन कर मिट्टी का परिवहन किया जा रहा है। रविवार दोपहर कृषक फ्रेंड्स क्लब के राजेंद्र भार्गव ग्राम जंबाड़ी गए हुए थे। उन्होंने डेम में खुदाई और ट्रैक्टर-ट्राॅली से मिट्टी का परिवहन होते देखा तो इसकी सूचना जल संसाधन उपसंभाग के अधिकारियों को दी। सूचना पर जल संसाधन उपसंभाग के उपयंत्री एलडी बचले मौके पर पहुंचे। डूब क्षेत्र से मिट्टी खुदाई कर बिना रजिस्ट्रेशन नंबर वाली दो ट्रैक्टर-ट्राॅली जब्त की। एसडीओ सीएल मरकाम ने बताया ट्रैक्टर-ड्राइवर बिना अनुमति के डूब क्षेत्र से मिट्टी खोदकर ले जा रहे थे। उपयंत्री को दोनों ड्राइवरों के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इस काम में ला रहे मिट्टी डेम से काली मिट्टी की खुदाई कर ईंट भट्टों पर पहुंच रही है। जहां ईंट बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। ईंट के उपयोग में आने वाली लाल दरदरी मिट्टी में काली मिट्टी मिलाई जाती है। जिससे ईंट मजबूत बनती है। वर्तमान में एक ट्राॅली काली मिट्टी एक हजार रुपए में बिक रही है। जिससे ईंट भट्टे संचालक सीधे डेम से मिट्टी ला रहे हैं।


करंजी नाले की पुलिया से बाइक टकराई, सवार युवक बेहोश 

खेड़ीसांवलीगढ़| रविवार शाम 6 बजे एक युवक बाइक से बैतूल की तरफ जा रहा था। इस दौरान करंजी नाले की पुलिया से टकराकर गिर गया और बेहोश हो गया। लाेगों ने देखा तो संजीवनी एंबुलेंस से उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया। युवक की हालत गंभीर है। युवक की पहचान उमेश पिता फूलेसिंग उइके कालाआखार, इटारसी नया जामुनजेल गांव के नाम से हुई है। खेड़ी पुलिस परिजनों की पतासाजी में जुटी हुई है। 



अच्छी पहल| हीरापुर रेशम केंद्र में 20 कारीगरों को दिया रेशमी साड़ी बनाने का प्रशिक्षण

ग्रामीण मीडिया सेण्टर| www.graminmedia.com


जिले में जल्द ही महेश्वर पैटर्न पर रेशमी साड़ियां बनने लगेंगी। जिले को यह पहचान हीरापुर रेशम केंद्र के माध्यम से मिलने वाली है। हीरापुर रेशम केंद्र में प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण के दौरान इस पैटर्न की साड़ी का निर्माण कर लिया है। संभवतः जल्द ही इसका विधिवत निर्माण शुरू करेंगे। अब तक 20 कारीगर इस कार्य में प्रशिक्षण ले चुके हैं और 20 लोगों का प्रशिक्षण जारी है। इसके बाद 10 लोगों को और रेशमी साड़ियां बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

रेशम धागे का हो रहा निर्माण 
रेशम केंद्र में अभी रेशम के कोकून से रेशमी धागे का निर्माण होता है। जिलेभर में 1 हजार 199 एकड़ में रेशम कीट पालन और कोकून तैयार होता है। प्रति एकड़ करीब 150 से 200 किलोग्राम रेशम निकल रहा है। शाहपुर, बैतूल, घोड़ाडोंगरी, मुलताई के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान कोकून से प्रति एकड़ अभी एक से डेढ़ लाख रुपए कमा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट से आने वाले समय में अधिक लाभ अर्जित होने की संभावना बढ़ गई है। 


यह होंगे फायदे: जिस स्थान पर साड़ी का निर्माण हो रहा है, वहां बंगला भाषी कारीगर हैं, जो कुशल कारीगर माने जाते हैं। यहां महेश्वर पैटर्न पर साड़ी निर्माण होने के बाद जिले सहित अन्य जिलों में भी इसे सप्लाई किया जाएगा। 

शाहपुर। रेशम केंद्र में धागा बनाते हुए प्रशिक्षणार्थी। 
4 कताई- बुनाई सेंटर के लिए 1 करोड़ का बजट 
हीरापुर रेशम केंद्र परिसर में कताई और बुनाई के लिए चार भवनों के निर्माण के लिए टेंडर हो चुके हैं। मप्र गृह निर्माण मंडल के सहायक यंत्री एनके पाठेकर ने बताया 4 भवनों के निर्माण के लिए एग्रीमेंट करने ठेकेदार को पत्र दिया है। संभवतः जुलाई में काम शुरू कर देंगे। 

वर्तमान में कपड़ा बनाने का प्रशिक्षण चल रहा है। प्रथम चरण में 50 लोगों को प्रशिक्षण दिया जाना है। 20 प्रशिक्षण ले चुके हैं । 20 को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद 10 को और प्रशिक्षण मिलेगा। ट्रायलबेस पर महेश्वर पैटर्न की साड़ी बनकर तैयार हो चुकी है। इसकी लागत 2 से ढाई हजार के बीच है। भविष्य में कताई, बुनाई के लिए भवन निर्माण से रेशम के वस्त्र तैयार करने में गति आएगी। अर्जुनसिंह ठाकुर, फील्ड अधिकारी, रेशम केंद्र, हीरापुर 

बड़ी खबर खतरे में है, सिचाई विभाग का जम्बाड़ी डेम

ग्रामीण मीडिया सेण्टर| से जुड़े ग्राम जम्बाड़ी के नव युवको ने जानकारी में बताया की, उनके ग्राम के डेम पर तकनीकी रूप से खतरे के बादल दिखाई दे रहे है।  इस सूचना पर ग्रामीण मीडिया की टीम ने ग्राम जा करके हालत देखे तो 100 प्रतिशत हालत खतरे के है।  सिचाई विभाग द्वारा निर्मित डेम से रात और दिन डेम डूब क्षेत्र की काली मिट्टी खुदाई करके जा रही है। तकनीकी दृष्ट्री से डूब क्षेत्र में कभी भी कोई भी खुदाई काम पर पाबंदी रहती है।  इसके पीछे कारण मे जब हम लोगो ने बाड़ेगांव की खुदाई जनहित में की थी तब सिचाई विभाग के अधिकारीओ ने काम रुकवाया और तकनीकी रूप से बताया की अगर नीचे की मिट्टी खुदाई के बाद कच्चा लग जाता है। बरसात में जब डेम में पानी भरा  रहा है। तब  पानी अंदर ही अंदर यहां से सुरंग बना करके डेम को क्षतीग्रस्त कर सकता है।  इस कारण से कभी भी डेम के अंदर से गहरीकरण का काम नहीं होता है।  अगर मिट्टी जमा होने पर तकनीकी अधिकारी की उपस्थिति में खुदाई होती है।  ये पूरा भाग सुरक्षित भाग  है। ग्रामीण मीडिया का भी मनाना है की इस खुदाई पर रोक नहीं लगी तो इस डेम और ग्रामीणों का जींवन खतरे में आ सकता है।  हमारा भाव किसी की शिकायत करना नहीं है जनहित है।  इसकी तत्काल सुचना अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और सिचाई विभाग को दी। अगर आपके ग्राम में भी इस प्रकार की गति विधि होती है तो सूचना दे। अधिकाँश मिटटी परेगाव के ईट के भट्टों पर जाती है।  खुदाई में नाबालिक श्रमिक भी है।  150 रुपए प्रति ट्राली भरवाई के भाव है।  करीब 35 मिनिट में एक ट्राली खुदाई करके भर जाती है।  इसी के साथ इसी डेम पर पानी की मोटर भी रात दिन चल रही है।  डेम का स्टोर पानी खाली हो रहा है।  मोटर भी सीधे विधुत पोल से तार डाल करके चल रही है। नियम से इस मौसम में पानी सिचाई की अनुमति नहीं मिलती है। 

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