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Sunday, 3 June 2018
जिले की प्रमुख ख़बरें एक नज़र में 4/06/2018
अच्छी पहल| हीरापुर रेशम केंद्र में 20 कारीगरों को दिया रेशमी साड़ी बनाने का प्रशिक्षण
ग्रामीण मीडिया सेण्टर| www.graminmedia.com
वर्तमान में कपड़ा बनाने का प्रशिक्षण चल रहा है। प्रथम चरण में 50 लोगों को प्रशिक्षण दिया जाना है। 20 प्रशिक्षण ले चुके हैं । 20 को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद 10 को और प्रशिक्षण मिलेगा। ट्रायलबेस पर महेश्वर पैटर्न की साड़ी बनकर तैयार हो चुकी है। इसकी लागत 2 से ढाई हजार के बीच है। भविष्य में कताई, बुनाई के लिए भवन निर्माण से रेशम के वस्त्र तैयार करने में गति आएगी। अर्जुनसिंह ठाकुर, फील्ड अधिकारी, रेशम केंद्र, हीरापुर
जिले में जल्द ही महेश्वर पैटर्न पर रेशमी साड़ियां बनने लगेंगी। जिले को यह पहचान हीरापुर रेशम केंद्र के माध्यम से मिलने वाली है। हीरापुर रेशम केंद्र में प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण के दौरान इस पैटर्न की साड़ी का निर्माण कर लिया है। संभवतः जल्द ही इसका विधिवत निर्माण शुरू करेंगे। अब तक 20 कारीगर इस कार्य में प्रशिक्षण ले चुके हैं और 20 लोगों का प्रशिक्षण जारी है। इसके बाद 10 लोगों को और रेशमी साड़ियां बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
रेशम धागे का हो रहा निर्माण
रेशम केंद्र में अभी रेशम के कोकून से रेशमी धागे का निर्माण होता है। जिलेभर में 1 हजार 199 एकड़ में रेशम कीट पालन और कोकून तैयार होता है। प्रति एकड़ करीब 150 से 200 किलोग्राम रेशम निकल रहा है। शाहपुर, बैतूल, घोड़ाडोंगरी, मुलताई के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान कोकून से प्रति एकड़ अभी एक से डेढ़ लाख रुपए कमा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट से आने वाले समय में अधिक लाभ अर्जित होने की संभावना बढ़ गई है।
यह होंगे फायदे: जिस स्थान पर साड़ी का निर्माण हो रहा है, वहां बंगला भाषी कारीगर हैं, जो कुशल कारीगर माने जाते हैं। यहां महेश्वर पैटर्न पर साड़ी निर्माण होने के बाद जिले सहित अन्य जिलों में भी इसे सप्लाई किया जाएगा।
शाहपुर। रेशम केंद्र में धागा बनाते हुए प्रशिक्षणार्थी।
4 कताई- बुनाई सेंटर के लिए 1 करोड़ का बजट
हीरापुर रेशम केंद्र परिसर में कताई और बुनाई के लिए चार भवनों के निर्माण के लिए टेंडर हो चुके हैं। मप्र गृह निर्माण मंडल के सहायक यंत्री एनके पाठेकर ने बताया 4 भवनों के निर्माण के लिए एग्रीमेंट करने ठेकेदार को पत्र दिया है। संभवतः जुलाई में काम शुरू कर देंगे।
बड़ी खबर खतरे में है, सिचाई विभाग का जम्बाड़ी डेम
ग्रामीण मीडिया सेण्टर| से जुड़े ग्राम जम्बाड़ी के नव युवको ने जानकारी में बताया की, उनके ग्राम के डेम पर तकनीकी रूप से खतरे के बादल दिखाई दे रहे है। इस सूचना पर ग्रामीण मीडिया की टीम ने ग्राम जा करके हालत देखे तो 100 प्रतिशत हालत खतरे के है। सिचाई विभाग द्वारा निर्मित डेम से रात और दिन डेम डूब क्षेत्र की काली मिट्टी खुदाई करके जा रही है। तकनीकी दृष्ट्री से डूब क्षेत्र में कभी भी कोई भी खुदाई काम पर पाबंदी रहती है। इसके पीछे कारण मे जब हम लोगो ने बाड़ेगांव की खुदाई जनहित में की थी तब सिचाई विभाग के अधिकारीओ ने काम रुकवाया और तकनीकी रूप से बताया की अगर नीचे की मिट्टी खुदाई के बाद कच्चा लग जाता है। बरसात में जब डेम में पानी भरा रहा है। तब पानी अंदर ही अंदर यहां से सुरंग बना करके डेम को क्षतीग्रस्त कर सकता है। इस कारण से कभी भी डेम के अंदर से गहरीकरण का काम नहीं होता है। अगर मिट्टी जमा होने पर तकनीकी अधिकारी की उपस्थिति में खुदाई होती है। ये पूरा भाग सुरक्षित भाग है। ग्रामीण मीडिया का भी मनाना है की इस खुदाई पर रोक नहीं लगी तो इस डेम और ग्रामीणों का जींवन खतरे में आ सकता है। हमारा भाव किसी की शिकायत करना नहीं है जनहित है। इसकी तत्काल सुचना अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और सिचाई विभाग को दी। अगर आपके ग्राम में भी इस प्रकार की गति विधि होती है तो सूचना दे। अधिकाँश मिटटी परेगाव के ईट के भट्टों पर जाती है। खुदाई में नाबालिक श्रमिक भी है। 150 रुपए प्रति ट्राली भरवाई के भाव है। करीब 35 मिनिट में एक ट्राली खुदाई करके भर जाती है। इसी के साथ इसी डेम पर पानी की मोटर भी रात दिन चल रही है। डेम का स्टोर पानी खाली हो रहा है। मोटर भी सीधे विधुत पोल से तार डाल करके चल रही है। नियम से इस मौसम में पानी सिचाई की अनुमति नहीं मिलती है।
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