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Friday, 5 October 2018

दूध का रोजगार पर प्रदेश में घाटे का रोजगार, विदेशी माल का कब्जा

ग्रामीण मीडिया संवाददाता

किसान नेता बलराम बारंगे से जाने पशु पालकों के बदहाल। शासन की जनकल्याण कारी योजनाओं की जमीनी हकीकत। संकट में है किसान और किसानी. प्रतिस्पर्धा के इस दौर में साँची दूध प्लांट की उचित मार्कटिंग न होने के कारण व्यवस्था बगड़ी है। दूसरी ओर उचित भाव न होने से दूध का रोजगार घाटे का सौदा हो रहा है। विदेशी दूध और पनीर का कब्जा प्रदेश के बाजारों के कारण भी हालत बन रहे है। 28 का दूध किसानों से समिति 22 में खरीद रही है।उ
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16 लाख का पट्टिया डेम 5 लाख में 10 साल बाद भी पानी है लबा लब

ग्रामीण मीडिया संवाददाता

मुलताई विकास खंड की ग्राम पंचायत के युवा सरपंच रामेश्वर ने वर्ष 2007-08 में जिस पट्टियां डेम की स्टीमेट लागत 16 लाख थी, उसको 5 लाख में पूरा किया। 10 साल बाद इस 700 मीटर लम्बा, 65 मी चौड़ाई, और 10 मीटर गहराई के इस डेम में पर्याप्त पानी है। जहां मुलताई विकास खंड के माध्यम 4 डेम 29 लघु डेम पानी नही है। वही इस में पर्याप्त पानी है। आज बाजू के कुओ और नलकुपो का जलस्तर बना हुआ है। हमारे नेता जितनी राशि भूमि पूजन में खर्च करते है। उसे कम में ये 10 साल से कार्य रथ है। 16 लाख का डेम 5 लाख में। अभी तो उलटा हो रहा है। 4 लाख की पुलिया 14 लाख में थोक में उद्घाटन चालु है।
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वर्धा डेम का उद्घाटन हो गया, किस किसान की जमीन गई नहीं मालूम विधायक जी जवाब दे


ग्रामीण मीडिया संवाददाता
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चुनाव आचार संहिता लगने वाली है, थोक बन्द उद्घाटनों का दौर चालू है। इसी कड़ी में कल वर्धा मध्यम सिचाई परियोजना के साथ विकास खंड के अन्य उद्घाटनों के पत्थरों का थोक में पूजा पाठ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। एक पत्थर नरखेड़ के हाट बाजार का भी था। दिनांक 2 दिसम्बर 2012 की तिथि है। जो क्षतिग्रस्त भी हो चुका है। 
ग्रामीण मीडिया को उदघाट्न स्थल पर वे किसान मिले जिनकी जमीन इस डेम के निर्माण में गई है। डेम की प्रशासनिक स्वीकृति 17 सितम्बर 2018 की है। इसके निर्माण में  भू अर्जन कुल 253.93 हेक्टर भूमि का होना था। जिसमे निजी किसानों की 179.15 हेक्टर भूमि है। सबसे पहले समाचार पत्रों में भूअर्जन का प्रकाशन उपरान्त रजिस्ट्री फिर बाद में निर्माण निविदा बाद में भूमि पूजन । चुनाव की आचार संहिता के पूर्व जो तेजी इस कार्यक्रम में दिखाई । उतनी ही किसानों को मुआवजा में नही। आज दो ग्रामो के 150 से अधिक किसानों को न तो नोटिस मिले, न ही किसी समाचार पत्र में निविदा प्रकाशन हुआ हैं। सुने इन किसानों से उनकी परेशानी। 22 गाँव में तो सन्देश पहुच गया। इनको न्याय कौन दिलवाएगा। चुनाव के बाद तो पाँच साल तक कोई नही पहचानता। फिर मतलब निकल गया तो पहचानते नही। समय आने पर ,,,,,,बाप। देखे पीड़ित किसानो का वीडियो 

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बैतूल जिले में हरे वृक्षों पर घोर संकट देखे इस विडिओ को

ग्रामीण मीडिया संवाददाता


गौर से देखे इस मशीन को बैतूल जिले में हरे वृक्षों को काटने का इस मशीन का भर पुर उपयोग हो रहा है।  ये पोर्टेबल मशीन पेट्रोल से संचालित होती है। भार भी बहुत कम है। इससे पहले थ्री फेस की वजनदार मशीन थी।  वृक्ष कटाई के लिए थ्री फेश का कलेक्शन तक ही कटाई होती थी।  बाकी वृक्ष सुरक्षित रहते थे।  इस मशीन जिसकी कीमत मात्र 6 हजार है। शासन के राजपत्र में प्रकाशित नियम से ये मशीन पूरी तरह प्रतिबंधित है। इस वीडियो को ध्यान से देखे।
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मुलताई में 70 डेमो में से 52 खाली, घोर जल संकट पानी पर लगेगा पहरा

ग्रामीण मीडिया संवाददाता,  पानी पर लगना पड़ेगा पहरा।



संकट में है, किसान इस साल बरसात की कमी के कारण, मारपीट और कानून व्यवस्था भंग के हालत बन सकते है।  
ग्रामीण मीडिया सेण्टर मुलताई ने वर्ष 2018-19 एक अध्ययन में पाया कि इस साल रवि मौसम में बरसात की कमी के कारण बड़ी संख्या में किसानों के खेतों में गेहूं की मुख्य फसल सिचाई (पानी) अभाव में बोनी नही हो पाएगी। मुलताई क्षेत्र में औसत रूप से 40 इंच बरसात होती है। जिससे डेम,कुओ,नलकूप,नदी और नालो में पर्याप्त पानी रहता था। रवि मौसम की फसल में एक पलेवा और दो सिचाई डेम और अन्य संसाधनों से हो जाती थी। 
इस साल मात्र 17 इंच का बरसात का आंकडा । जिस के कारण भूमिगत जलस्तर बहुत कम है। मुलताई जल संसाधन विभाग मुलताई में रवि सिचाई के लिये मध्यम जलाशय 04 और लधु 66 है। इसमें से 18 डेमो से केवल पलेवा होगा। जो दो बार पानी देते है। वह नही दे सकते। केवल उभारिया में सिचाई होगी। 70 डेमो से 40 हजार 481 हेक्टर की सिचाई होती थी। इस साल संकट है। यह हालत मात्र 11 हजार 790 हेक्टर में पलेवा। ठीक ये हालत कुओ और नलकुपो के भी यही हालत है। इस गेहू का असर आगे पशु चारे पर भी आएगा। चुनाव का साल है। आचार संहिता रहेगी।
किसान को सलाह है कि, ऐसी हालत में चना,अलसी,मसूर या कम पानी वाले गेहू की प्रजाति लगाए। अन्यथा सिचाई अभाव में फसल की मूल लागत भी नहीं निकलेगी। संकट का साल है। इस प्रकार से सूखे का लगातार दूसरा साल है। इस साल भी ताप्ती सरोवर का ओवर फ्लो नहीं हुआ।

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