ग्रामीण मीडिया सेण्टर| बैतूल
कलेक्टर शशांक मिश्रा को फेसबुक पर धमकी मामले में कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। इस मामले में एसडीएम तरुण कुमार भंडारी के आवेदन पर कोतवाली में आरोपी निमिष के खिलाफ धारा 66 सूचना प्रौद्योगिकी ,धारा 189 ,506 का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने उसे,हिरासत में ले लिया है।
विशेष
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सोशल जगत में कलेक्टर पर पोस्ट डालना और पूर्व विधायक पर तथाकथित फेंक पोस्ट क्रियेट करना इतना महंगा पड़ गया कि एफ आई आर तक दर्ज हो गई।इन दो मामलों ने मेरी सोशल जगत पर उन स्टडी रिपोर्ट की पुष्टि कर दी। जिसमे बताया गया था कि पहचान,पद, पॉपुलरटी के लिए मरी जा रही युवा पीढ़ी अनाप शनाप पोस्ट शेयर कर रही,क्रियेट कर रही ,कॉमेंट्स कर रही है। इस खेल में निमिष या लतेश तो सिर्फ इसलिए धरा गए कि उन्होंने अपना टारगेट ऐसा चुन लिया था ,जिनका लोकल प्रशासनिक और राजनैतिक वजूद मीडिया को दिखता है । इसलिए बबाल भी मचा और बात एफआईआर तक पहुच गई वरना लोगो महापुरषो को बेहद घटिया स्तर पर जाकर ख़ूब गरिया रहे है,उनकी चरित्र हत्या तक करने में अपनी अक्लमंदी गर्व के साथ महसूस कर रहे है।
बैतूल के सोशल जगत में चुनावी घुसपैठ पर पिछले तीन माह की स्टडी के आधार पर मै दावे के साथ कह सकता हूं कि ये दो ही नही और भी प्यादे है जो सीधे एफआईआर की जद में आने लायक है। इस खेल को लेकर बैतूल के सोशल जगत पर 1 मई को हुजूर..यह आतंक नही है क्या शीर्षक से, 17 मई को बैतूल सोशल वार भाग 2 में कम अक्ल नेहरू को टारगेट करने में आईटी एक्ट व आईपीसी की कर रहे अनदेखी शीर्षक से, 20 मई को बैतूल सोशल वार भाग 3 में जिनको लड़ना वो दिखते नही,फोकटिये कर रहे खूब बेहूदा अधकचरी पटर पटर शीर्षक से स्टडी रिपोर्ट फेसबुक पर पोस्ट की थी। इन रिपोर्ट में साफ़ बताया गया था सोशल जगत में किस तरह के नासमझ है जिन्हें मनोचिकित्सक की सेवाओं की जरूरत है ,वही किस तरह ज्यादा ज्ञानचंद है जिन्हें आईपीसी और आईटी एक्ट की सख्त जरूरत है।
।। इस तरह समझे मनोरोग को
।।
1. एक कम उम्र का फेसबुकिया कहता हैं कि उसे गांधी से घिन आती है,जिस पार्टी और विचारधारा को फॉलो करने का दावा करता है उसके विपरीत यह बन्दा रमजान में सीजफायर पर कहता है कि एक भी सैनिक शहीद हुआ तो लाल चौक जा कर धरना देगा।
2. काला पाठा इलाके के एक सरकारी स्कूल के मासाब पर विचारधारा का असर इतना वयापक नजर आया कि वे न केवल संदिग्ध पोस्ट शेयर कर रहा बल्कि एक पार्टी विशेष के आला नेताओ पर घटिया स्तर के कमेंट्स करते नजरआया,जबकि उसके यह कृत्य शासकीय सेवा आचरण नियमो के विपरीत है।
।। ऐसे जाने कानून की अनदेखी ।।
१. पिछले दिनों एक पोस्ट पर कमेंट्स करते हुए देश के प्रथम प्रधानमंत्री को गद्दार तक एक सज्जन ने घोषित कर दिया,चरित्र हनन की तमाम बाटे कही, जब इन्हें कहा गया कि क्या जो कह रहे है वो मान हानि के दायरे में नही आता तो सज्जन कहते है कि क्या आप कानून की कोचिंग चलाते है?
2. इधर जिन्ना प्रकरण में एक महानुभाव इतिहास पर मनमाने तथ्य रखकर जो ज्ञान प्रदर्शन कर रहे थे उसमे जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया वह लाख चतुराई के भी अईपीसी की धारा का आरोपी तो आराम से बना सकता है।
।। आईटी सेल का मटेरियल जिम्मेदार ।।
यदि बारीकी से देखा जाए तो इन हालात के लिए पार्टियों के आईटी सेल जिम्मेदार है जो महापुरषो पर ही नही राष्टीय राजनीति के वर्तमान चहरो पर अनगर्ल रेडीमेट पोस्ट शेयर करवा रहे। लगातार इन पोस्ट को खेलते रहे और प्रशासन या किसी जिम्मेदार पार्टी पदाधिकारी ने कोई आपत्ति तक नही ली। नतीजन हौसला इतना बढ़ गया कि पिनक में कलेक्टर पर निशाना साध दिया और अति उत्साह में प्रभावशाली पूर्व विधायक पर ही आपतिजनक पोस्ट क्रियेट कर बैठे।
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