ग्रामीण मीडिया सेण्टर मुलताई में आठ मीटर का नाला किया चार मीटर उसमे भी बना दिया सीमेंट कांक्रीट का उदगम से लेकर अंत कंरना होगा पुनरुत्थान। मुलताई से निकलकर तीन राज्यों से होते हुए गुजरात की डूमस की खाड़ी में गिरने वाली ताप्ती का बहाव जिले में 26 सहायक नदियों के सूखने से खत्म हो गया है। वहीं जिले की सीमा में 210 किलोमीटर का सफर तय करने वाली ताप्ती पर पानी का आंकलन किए बिना ही चार बड़े बांध बनने से नदी में अब बारिश में भी पर्याप्त पानी नहीं रहता है।
ताप्ती और इनकी सहायक 26 नदियों में दोबारा जान डालने के लिए सिरपुर पैटर्न जैसे मॉडलों को लागू करने की जरूरत है, लेकिन बारिश का समय नजदीक आ गया है और प्रशासन व जनप्रतिनिधियों का इस ओर कोई ध्यान ही नहीं है, न ही इनके पुनरुद्धार के लिए आज तक कोई मुहिम या जनसहयोग से कोई मुहिम चली है। इससे बैतूल की जीवन रेखा कहलाने वाली ताप्ती अपना अस्तित्व खोते जा रही है।
ताप्ती नदी की 26 सहायक नदियां जिले में हैं। इनमें पूर्णा, तवा, अंभोरा कालिया, खेड़ी नदी, बोकड़या नदी, घोघरा नदी, ऊद नदी, कोपाटी नदी, पाट नदी, भाल नदी, पिपला नदी, मच्छी नदी, बैतूल नदी, लायवानी नदी, सास-बहू नदी, गुप्तवाड़ा नदी, जामू नदी, खुर्सी नदी, टिगरिया नदी, पिपला नदी, खंडू नदी हैं। इसके अलावा लोहारिया नाला, डोल नाला, देवी नाला जैसे बड़े बरसाती नाले भी इसमें मिलते हैं। लगभग सभी सूख गए हैं। इन सहायक नदियों को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। इसके लिए सिरपुर पैटर्न जैसे महाराष्ट्र के मॉडल लागू करने चाहिए।
कई जगह केवल 71 क्यूबिक फीट का फ्लो
ताप्ती में एवरेज 17,269 क्यूबिक फीट पानी प्रति सेकंड का फ्लो रहता है। लेकिन यह फ्लो लगातार कम हो रहा है। जल निगम के हालिया आंकलन के अनुसार कई जगह पर तो नदी पूरी तरह सूख गई है, वहीं अधिकांश जगह जिले में इसका फ्लो केवल 71 क्यूबिक फीट प्रति सेकंड रह गया है।
पांच सालों में आधे से
भी कम हो गई बारिश
पांच सालों में बारिश आधे से भी कम रह गई है। पांच साल पहले 2013-14 में 1922.3 एमएम औसत बारिश पूरे जिले में हुई थी। जो कि 2017-18 में 795.7 एमएम रह गई। इस तरह पांच साल पहले की तुलना में 1126.6 एमएम बारिश कम हुई।
यह है बारिश का आंकड़ा
2013-14 1922.3 एमएम
2014-15 1245.5 एमएम
2015- 16 952.6 एमएम
2016-17 1158.5 एमएम
2017-18 795.7 एमएम
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